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पूजनीय लाला जी की 42वीं पुण्यतिथि पर आई.के.जी.पी.टी.यू में रक्तदान शिविर आयोजित, 51 यूनिट ब्लड डोनेट किया

विश्व शांति एवं एकता के पहरी थे अमर शहीद लाला जगत नारायण जी : डा. सुशील मित्तल, कुलपति आई.के.जी पी.टी.यू
पंजाब के हित में निर्भीक पत्रकारिता के साथ सदैव आगे रहा है पंजाब केसरी समूह : कैप्टन करनैल सिंह, आई.ए.एस, डिप्टी कमिश्नर कपूरथला

– पूजनीय लाला जी की 42वीं पुण्यतिथि पर आई.के.जी.पी.टी.यू में रक्तदान शिविर आयोजित, 52 यूनिट ब्लड डोनेट किया

अमर शहीद लाला जगत नारायण जी एक नाम नहीं बल्कि हर वर्ग, हर उम्र में और हर किसी के जीवन में शामिल एक दर्शन भाव हैं! वे विश्व शांति एवं देश की एकता, अखंडता एवं चौतरफा मैत्री भाव के पहरी व पक्षधर थे! उन्होंने अपने जीवन में एकता एवं मानव जीवन के सुखद स्वभाव के हित में हमेशा काम किया! अमर शहीद लाला जगत नारायण जी के बारे में यह भाव आई.के.गुजराल पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी के कुलपति (वाइस चांसलर) डा.सुशील मित्तल के हैं! यह भाव उन्होंने पूज्य लाला जी की 42 वीं पुण्यतिथि पर आई.के.जी.पी.टी.यू में आयोजित रक्तदान शिविर के दौरान व्यक्त किये!

डा. सुशील मित्तल, कुलपति आई.के.जी पी.टी.यू एवं कैप्टन करनैल सिंह, आई.ए.एस, डिप्टी कमिश्नर कपूरथला दोंनो ने मिलकर मुख्य अतिथि के तौर पर रक्तदान शिविर का उद्घाटन किया तथा लाला जी की तस्वीर पर पुष्प अर्पित किये! डा.एस.के मिश्रा रजिस्ट्रार आई.के.जी पी.टी.यू इस अवसर पर विशेष मेहमान रहे! डा.मिश्रा ने पंजाब केसरी समूह का रक्तदान जैसे नेक कार्य की शुरुआत लाला जी की पुन्यतिथि पर करवाने के लिए आभार वियक किया कि उन्होंने इस सामाजिक कार्य से जन-जन को साथ जोड़ा है! आई.के.जी पी.टी.यू के डिप्टी रजिस्ट्रार रजनीश शर्मा ने डिप्टी कमिश्नर कैप्टन करनैल सिंह एवं कुलपति डा. सुशील मित्तल को रक्तदान शिविर, उससे जुडी प्री-रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के बारे में जानकारी सांझी की!

डिप्टी कमिश्नर कैप्टन करनैल सिंह, आई.ए.एस ने अपने संदेश में लाला जी के जीवन के बारे में बताया कि असहयोग आंदोलन में शामिल होने के लिए महात्मा गांधी जी के आह्वान पर उन्होंने 1920 में अपनी पढ़ाई छोड़ दी। उन्हें ढाई साल कैद की सजा भी सुनाई गई थी। जेल में, उन्होंने लाला लाजपत राय के निजी सचिव के रूप में काम भी किया। उन्होंने 1924 में वे भाई परमानंद के साप्ताहिक हिंदी भाषा के पत्र आकाशवाणी के संपादक बने। उन्होंने सत्याग्रह आंदोलन में भाग लिया और विभिन्न अवसरों पर लगभग नौ वर्षों तक जेल में रहे। उनकी पत्नी छह महीने तक जेल में रहीं और उनके सबसे बड़े बेटे रमेश चंद्र को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हीं के पदचिन्हों पर चलते हुए आज उनकी चौथी पीढ़ी भी सम्पूर्ण पत्रकारिता के जरिये राष्ट्र सेवा कर रही है!
यूनिवर्सिटी में कुल 52 यूनिट ब्लड डोनेट किया गया!

इस अवसर पर यूनिवर्सिटी के डिप्टी कंट्रोलर डा. नित्या शर्मा, डिप्टी रजिस्ट्रार देवेंद्र कुमार, सीनियर सहायक टहल सिंह, विजय कुमार, प्रदीप कुमार, कमल कुमार, जसबीर, गुरप्रीत सिंह, सिक्योरिटी स्टाफ एवं एन.एस.एस के वॉलन्टियर्स ने बढ़ चढ़ कर रक्तदान किया!